पटना में जलजमाव कि समस्या को कई दिनों से झेलने के बाद अब पटना में बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है डेंगू जैसी बीमारियों से कई लोग पीड़ित हो रहे है| पटना में जलजमाव कि समस्या से पटनावासी आज कई दिनों से लाचार एव परेशान है|आज कई दिनों से पटना में लगभग सभी इलाके में पानी जमा हुआ है खासकर के राजेन्द्र नगर , जगत नरायणं रोड ,नाला रोड ,बाजार समिति जैसे मुहल्ले कि बात करे तो इन जगहों पर कई दिनों से इतने पानी जमा है कि घर से किसी का निकलना मुश्किल हुआ है यहाँ तक कि कई इलाकों में ऐसी स्थिति रही कि लोगों को बिजली कि व्यवस्था नहीं रहने के कारण पीने के लिए पानी का किलत रहा एवम् सड़क पर पानी लगे रहने के वजह से लोग बाहर नहीं जा पाते इसलिए बहुत से लोगों को भुखमरी कि समस्या से जूझना पड़ा ,यह कैसी बिड़बना है कि आज भी ऐसी स्थिति आ जाती है कोई भूखा मरता है तो कोई प्यासा सोता है और सरकार इसे प्राकृतिक आपदा कहकर चुप रहती है |मैं मानती हु कि वर्षा प्रकृति है पर क्या अगर उससे कोई समस्या होती है तो प्रकृति को टाल कर हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहेंगे ?
ऐसा भी नहीं है कि बिहार सरकार इस समस्या से वाकिफ नहीं है और ऐसा भी नहीं है ये समस्या पहली बार आई है बल्कि पहले भी कई बार पटना जल जमाव कि समस्या झेल चुका है|तो फिर सरकार पहले से इसके राहत पाने का इंतेजाम क्यों नहीं किया?क्यों हम प्राकृतिक आपदा मानकर बैठ जाए ?और जो यदि किसी विपरीत परिस्थिती को प्राकृतिक आपदा ही मानकर बैठ जाना हो तो फिर सरकार का क्या है ?सरकार ये क्यों नहीं समझती है कि सिर्फ राहतकोष लेना सरकार का दायित्व नहीं होता बल्कि ऐसी स्थिति उत्पन्न ही न ऐसा व्यवस्था करना भी सरकार का दायित्व होता है जी हाँ पटना नगर निगम को गड्ढा जाम न इसके लिए कार्यरत रहना चाहिए ,अब ये कहकर भी टाल देना कि लोग कि कचड़ा डाल देते है,नगर निगम क्या करे ?यह कहना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है समस्याओ का हल निकलने पर ही कुछ परिणाम अच्छा होता है , अगर हेलमेट लगाने के लिए कानून बनाया जा सकता है , चेकिंग किया जा सकता है तो इसके लिए सफाई के लिए क्यों नहीं ?
