आशीष कुमार

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥४-७॥

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥४-८॥

यह श्लोक हिंदू ग्रंथ गीता के प्रमुख श्लोकों में से एक है, जिसमें श्री कृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं की जब-जब धर्म की हानि होती है अधर्म बढ़ता है सज्जन लोगों की रक्षा के लिए दुष्टों का विनाश करने के लिए धर्म की स्थापना के लिए मैं युग-युग में जन्म लेता हूँ।

जन्माष्टमी का पर्व इस साल 23 और 24 अगस्त यानी कि 2 दिन मनाया जा रहा है।भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री कृष्ण का जन्म हुआ था ज्योतिष गणना के अनुसार इस वर्ष भगवान श्री कृष्ण का 5245 वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। वेद-पुराणों,शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण द्वापर युग में जन्मे थे श्री कृष्ण भगवान के अवतार थे उनका जन्म धर्म की रक्षा के लिए हुआ था।

हर गली चौराहे में गाने बज रहे हैं हम सब बोलेंगे हैप्पी बर्थडे टू यू…….. , हांडी फोड़ प्रतियोगिताएं कराई जा रही हैं, मंदिरों में चार चांद लग गए हैं, कोई उपवास है तो कोई घर में विराजमान श्री कृष्ण जी को मक्खन का भोग लगा रहा है। लोग इस पर्व को बड़े हर्षोल्लास से मनाते हुए दिख रहे हैं। कोई उन्हें नंदलाल तो कोई माखन चोर,रास-रचैया,नाना प्रकार के नामों से उनका नाम लिया जा रहा है और बड़ी आस्था के साथ उन पर कई गाने गाए और फिल्माऐं जा रहे हैं ऐसा आनंदमयी माहौल बना है जैसे श्री कृष्ण ने अभी जन्म लिया हो और सब खुशियां मना रहे हैं। श्री कृष्ण जी का जन्म कंस के बढ़ते अत्याचारों का तथा अन्य राक्षसों के समूल विनाश के लिए हुआ जो कि अधर्मी और पापी थे।

जब भी किसी महापुरुष प्रवर्तक युगपुरुष का जन्मदिन जयंती मनाई जाती है तो वह इसलिए मनाई जाती है ताकि हम उनसे कुछ ना कुछ प्रेरणा लें कि कैसे उन्होंने अपने जीवन को सार्थक किया,किस कृत्य से वह इतने महान बने।इस सार्थकता को भूल कर उनके जन्म को एक अलग ही रंग (मनोरंजक)देकर उसकी पृष्ठभूमि को बदल देना क्या उचित है?

जन्माष्टमी का उत्सव स्वयं के भीतर भी कृष्ण जन्मोत्सव मनाने का ढंग यानी कृष्ण चेतना को जगाने का उत्सव है।जब साधना से हमारे विकार जैसे काम, क्रोध, लोभ, मोह, मत्सर और अहंकार जड़ मूल से नष्ट हो जाते हैं तब हमारे भीतर कृष्ण चेतना प्रस्फुटित होती है।श्री कृष्ण की समस्त लीलाएं हमारा मार्गदर्शन करते हैं की विषमताओं से कैसे संबंध बिठाया जाए तथा अनाचारी व्यवस्था से लोकतांत्रिक तरीके से विरोध कैसे किया जाए।